ब्रिगेडियर एस. एन. तिवारी : समर्पण, साहस और सेवा का अद्वितीय संगम कारगिल के हीरो, अब पूर्व सैनिकों और वीर नारियों के मसीहा बनकर कर रहे समाज...
ब्रिगेडियर एस. एन. तिवारी : समर्पण, साहस और सेवा का अद्वितीय संगम
कारगिल के हीरो, अब पूर्व सैनिकों और वीर नारियों के मसीहा बनकर कर रहे समाजसेवा का नया अभियान
तामीर हसन शीबू
जौनपुर। उत्तर प्रदेश के जनपद जौनपुर के कादिरापुर गांव में जन्मे ब्रिगेडियर एस. एन. तिवारी भारतीय सेना के उन गिने-चुने अधिकारियों में से हैं जिन्होंने अपने साहस, समर्पण और अनुशासन से सेना और देश दोनों का गौरव बढ़ाया। अब वे सेवानिवृत्ति के बाद भी सेवा के उसी पथ पर अग्रसर हैं—फर्क सिर्फ इतना है कि अब उनका रणक्षेत्र समाज है और लक्ष्य है पूर्व सैनिकों, वीर नारियों व उनके आश्रितों का कल्याण।
ब्रिगेडियर तिवारी का सैन्य जीवन प्रेरणा से भरा रहा है। वर्ष 1987 में पैरा रेजीमेंट (स्पेशल फोर्सेज) की छठी बटालियन में कमीशन प्राप्त करने के बाद उन्होंने कई अहम मोर्चों पर अपने साहस का लोहा मनवाया। वे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं।
रोचक तथ्य यह है कि सैनिक स्कूल रीवा से वर्ष 1977 में बस्तर जिले से चयनित होने वाले वे अकेले छात्र थे, और आज भारतीय सेना व नौसेना—दोनों के प्रमुख भी इसी विद्यालय के पूर्व छात्र हैं।
कश्मीर घाटी और उत्तर-पूर्व भारत में आतंकवाद-रोधी अभियानों से लेकर द्रास और गुरेज़ की दुर्गम हिमालयी चोटियों तक, ब्रिगेडियर तिवारी ने हर चुनौती को अदम्य साहस से स्वीकार किया। उन्होंने ऑपरेशन विजय (करगिल युद्ध) के दौरान मुश्कोह घाटी में कंपनी कमांडर के रूप में उल्लेखनीय भूमिका निभाई।
उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए उन्हें कई बार सम्मानित किया गया —
1993 में सेना प्रमुख कमेंडेशन कार्ड (ऑपरेशनल एक्सीलेंस, कारगिल सेक्टर)
1996 में आर्मी कमांडर सेंट्रल कमांड कमेंडेशन कार्ड (एयरबोर्न एक्सरसाइज)
2012 में आर्मी कमांडर नॉर्दर्न कमांड कमेंडेशन (कश्मीर घाटी)
2013 में आर्मी ट्रेनिंग कमांड कमेंडेशन (कमांडेंट, आर्मी एयरबोर्न ट्रेनिंग स्कूल, आगरा)
सेना के कमांडो विंग, बेलगाम में प्रशिक्षक के रूप में तथा सेना मुख्यालय के मिलिट्री ऑपरेशन्स निदेशालय में स्टाफ अधिकारी के रूप में उनकी भूमिका हमेशा प्रशंसनीय रही।
ब्रिगेडियर तिवारी एक युद्ध-विजेता, स्काई डाइवर, हॉकी खिलाड़ी और साइक्लिंग प्रेमी हैं। सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने सेवा की भावना को नहीं छोड़ा। वे अपनी माता श्रीमती दुर्गावती देवी, पत्नी श्रीमती पुष्पा तिवारी और श्रीमती मीना तिवारी के सहयोग से “श्रीमती दुर्गावती देवी पूर्व सैनिक एवं वीर नारी सहायता समिति ट्रस्ट” के माध्यम से निरंतर समाजसेवा में लगे हैं।
हाल ही में उन्होंने 09 सितम्बर 2025 को लखनऊ से सुल्तानपुर (154 किमी) तक साइकिल यात्रा कर परमवीर चक्र विजेता सीक्यूएमएच अब्दुल हमीद की 60वीं पुण्यतिथि में भाग लिया। वहीं 19 सितम्बर 2025 को हरदोई (111 किमी) तक साइकिल यात्रा कर वीर नारियों के सम्मान समारोह में शामिल हुए। वे अब तक 10 सेवानिवृत्त सैनिकों को सम्मानजनक रोजगार दिलाने में सफल रहे हैं।
उनका जीवन दर्शन है — “सुमिरन और सेवा”, यानी ईश्वर का स्मरण और समाज की निःस्वार्थ सेवा।
अब उन्होंने संकल्प लिया है कि उत्तर प्रदेश के हर जनपद की साइकिल यात्रा कर वे पूर्व सैनिकों के कल्याण और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाएंगे।
ब्रिगेडियर एस. एन. तिवारी आज भी वर्दी में न सही, लेकिन उसी जोश और जज़्बे के साथ देशसेवा में तत्पर हैं — सचमुच वे हैं समर्पण, साहस और सेवा की जीवंत मिसाल।
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