फर्जी पत्रकारों की साजिश बेनकाब महिला अस्पताल में धार्मिक रंग देने की कोशिश, खुद फंस गए मोहम्मद उस्मान और मयंक श्रीवास्तव जल्द सलाखों के ...
फर्जी पत्रकारों की साजिश बेनकाब महिला अस्पताल में धार्मिक रंग देने की कोशिश, खुद फंस गए मोहम्मद उस्मान और मयंक श्रीवास्तव
जल्द सलाखों के पीछे होंगे फर्जी पत्रकार
जौनपुर।नगर कोतवाली थाना क्षेत्र के पुरानी सब्जी मंडी निवासी मोहम्मद उस्मान और उसके साथी मयंक श्रीवास्तव जो खुद को “पत्रकार” बताते थे, अब अपने ही बुने जाल में फंस गए हैं। दोनों के खिलाफ जौनपुर नगर कोतवाली में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है।
जानकारी के अनुसार, बीते 1 अक्टूबर को दोनों युवक जिला महिला अस्पताल पहुंचे और महिला वार्ड में घुसकर प्रसव पीड़ा से तड़प रही एक महिला का वीडियो बनाते हुए उसका विवादित बयान रिकॉर्ड किया। वीडियो में महिला से कहलवाया गया कि “डॉक्टर ने इलाज से मना कर दिया क्योंकि वह एक विशेष समुदाय से है।वीडियो वायरल होते ही जिला अस्पताल प्रशासन हरकत में आया और पूरे मामले की जांच शुरू की।
सीसीटीवी फुटेज में खुली पोल
सीएमएस डॉ. एम.के. गुप्ता की देखरेख में की गई जांच में जो सच्चाई सामने आई, उसने सभी के होश उड़ा दिए।सीसीटीवी फुटेज में साफ देखा गया कि महिला को बयान देने से पहले बहला-फुसलाकर और समझाकर स्क्रिप्ट दी गई, यानी उसे बताया गया कि “क्या बोलना है।जब इस हरकत का ड्यूटी पर तैनात सैनिक गार्ड ने विरोध किया, तो उसके साथ धक्का-मुक्की भी की गई।
धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश
वीडियो वायरल कर न केवल महिला अस्पताल की छवि धूमिल करने की कोशिश की गई, बल्कि सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाते हुए धार्मिक तनाव पैदा करने का प्रयास किया गया।
जांच में यह भी सामने आया कि यह सब पूर्व नियोजित साजिश के तहत किया गया था।
सूत्रों के मुताबिक, इन दोनों फर्जी पत्रकारों को अस्पताल भेजने के पीछे एक साजिशकर्ता की भूमिका भी सामने आ रही है, जो महिला डॉक्टरों को डरा-धमकाकर वसूली करने की योजना बना रहा था।
अस्पताल में अधिकांश मरीज मुस्लिम समुदाय से
जानकारी के अनुसार, जिला महिला अस्पताल मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में स्थित है, जहां अधिकांश मरीज इसी समुदाय के होते हैं। ऐसे में “भेदभाव” का आरोप निराधार और भड़काऊ पाया गया।
कोतवाली में मुकदमा दर्ज, गिरफ्तारी तय
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) की रिपोर्ट पर जिला अधिकारी (DM) ने जब सूचना विभाग से जांच करवाई, तो यह तथ्य सामने आया कि मोहम्मद उस्मान और मयंक श्रीवास्तव दोनों ही सूचना विभाग में पंजीकृत पत्रकार नहीं हैं।
इसके बाद CMS डॉ. एम.के. गुप्ता ने पुलिस अधीक्षक (SP) को रिपोर्ट दी, जिस पर नगर कोतवाली में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
जनता की मांग – साजिशकर्ता भी जाए जेल
स्थानीय नागरिकों और पत्रकार संगठनों का कहना है कि इस पूरे प्रकरण में सिर्फ दोनों फर्जी पत्रकार ही नहीं, बल्कि उनके पीछे के साजिशकर्ता को भी जेल भेजा जाना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई इस तरह पत्रकारिता की आड़ में समाज में जहर घोलने की कोशिश न करे।
जल्द सलाखों के पीछे होंगे फर्जी पत्रकार
आम जनता का कहना है कि अब जबकि सीसीटीवी फुटेज और जांच रिपोर्ट दोनों स्पष्ट रूप से दोष साबित कर चुके हैं, तो उम्मीद है कि मोहम्मद उस्मान और मयंक श्रीवास्तव जल्द ही सलाखों के पीछे होंगे।
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