फर्ज़ी डॉक्टरी और फर्ज़ी पत्रकारिता का गठजोड़! जौनपुर के सब्ज़ी बाजार में बिना डिग्री ‘डॉक्टर’ और सोशल मीडिया ‘यूट्यूबर’ का खेल उजागर बिना क...
फर्ज़ी डॉक्टरी और फर्ज़ी पत्रकारिता का गठजोड़! जौनपुर के सब्ज़ी बाजार में बिना डिग्री ‘डॉक्टर’ और सोशल मीडिया ‘यूट्यूबर’ का खेल उजागर
बिना किसी मेडिकल डिग्री के चला रहा क्लिनिक, खुद को यूट्यूबर पत्रकार बताकर करता रहा बचाव; महिला अस्पताल में घुसकर वीडियो बनाने पर साथी पर दर्ज हुआ है संगीन मुकदमा।
तामीर हसन शीबू
जौनपुर नगर के सब्ज़ी बाजार इलाके में वर्षों से चल रहे फर्ज़ी डॉक्टरी के मामले ने अब एक नए मोड़ ले लिया है। यह मामला अब महज एक बिना डिग्री डॉक्टर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें कथित यूट्यूबर पत्रकारिता और धार्मिक उन्माद भड़काने की आशंका भी जुड़ गई है।
स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सब्ज़ी बाजार में एक युवक वर्षों से अपने दिवंगत पिता की 'क्लिनिक' चला रहा है। उसके पास न मेडिकल डिग्री है, न पंजीकरण, और न ही किसी तरह का विधिवत प्रशिक्षण। इसके बावजूद वह खुद को ‘डॉक्टर’ बताकर लोगों का इलाज कर रहा है।
जब इस अवैध चिकित्सा धंधे पर सवाल उठाए गए, तो उक्त युवक ने खुद को "यूट्यूबर पत्रकार" बताकर बचाव किया और कहा कि वह "जनसेवा" कर रहा है। सोशल मीडिया पर सक्रिय यह युवक अक्सर कैमरे के साथ घूमता है और स्वास्थ्य व प्रशासनिक मुद्दों पर वीडियो बनाता है, परंतु उसकी गतिविधियाँ अब सवालों के घेरे में आ चुकी हैं।
मामले को और गंभीर बना दिया एक ताजा घटना ने, जिसमें इसी युवक के एक साथी पर महिला मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMO) की पहल पर नगर कोतवाली, जौनपुर में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
आरोप है कि दो युवक जो खुद को पत्रकार बताते हैं जौनपुर के महिला अस्पताल में बिना अनुमति घुस गए और वार्ड में भर्ती महिलाओं की वीडियो रिकॉर्डिंग कर ली। इस वीडियो को बाद में सोशल मीडिया पर वायरल किया गया, जिसके कारण न केवल मरीजों की निजता का उल्लंघन हुआ, बल्कि धार्मिक तनाव फैलने की भी आशंका उत्पन्न हो गई।
महिला अस्पताल के सीएमएस ने शिकायत में स्पष्ट रूप से लिखा है कि यह कृत्य न केवल अवैध है, बल्कि अस्पताल की सुरक्षा और सामाजिक सद्भाव के लिए भी खतरा है। मुकदमा दर्ज होते ही दोनों कथित पत्रकारों की भूमिका और मंशा को लेकर जांच शुरू हो चुकी है
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस तरह फर्ज़ी डॉक्टर और कथित यूट्यूबर पत्रकार मिलकर अपनी पहचान छिपाकर या गढ़कर संवेदनशील स्थलों में दाखिल हो रहे हैं, वह न केवल कानून व्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि आम जनता की सुरक्षा और विश्वास के लिए भी घातक है।
वहीं, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या इतने बड़े फर्ज़ीवाड़े की जानकारी उन्हें नहीं थी? या जानबूझकर अनदेखी की जा रही है
बिना डिग्री डॉक्टर, फर्ज़ी पत्रकारिता, धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश
जौनपुर में यह पूरा मामला एक सामाजिक और प्रशासनिक विफलता की मिसाल बनता जा रहा है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब जागता है और इस पूरे गठजोड़ पर सख्त कार्रवाई करता है।

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