फर्जी पत्रकारों की करतूतों से शर्मसार हुई पत्रकारिता जिला प्रशासन जिन्हें पहले ही ‘फर्जी पत्रकार’ घोषित कर चुका — अब वही कुछ चैनलों पर बन ...
फर्जी पत्रकारों की करतूतों से शर्मसार हुई पत्रकारिता
जिला प्रशासन जिन्हें पहले ही ‘फर्जी पत्रकार’ घोषित कर चुका — अब वही कुछ चैनलों पर बन रहे हैं ‘हीरो’!
तामीर हसन शीबू
जौनपुर। पत्रकारिता, जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, आज कुछ फर्जी चेहरों की करतूतों से सवालों के घेरे में है। जनपद जौनपुर में ऐसी घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं जहाँ जिला प्रशासन द्वारा पहले से फर्जी घोषित व्यक्ति खुद को पत्रकार बताकर सक्रिय हैं — और चौंकाने वाली बात यह कि कुछ चैनल इन्हीं को “पत्रकार” बताकर प्रचारित कर रहे हैं। नतीजा, सच्ची पत्रकारिता की साख पर गहरा धब्बा लग गया है।
याद दिला दें कि जिला महिला अस्पताल प्रकरण में भी ऐसे ही दो तथाकथित पत्रकार शामिल थे। उन्होंने अस्पताल में जबर्दस्ती घुसकर वीडियो बनाया, फिर महिला मरीज की निजता भंग करते हुए धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश की थी। उस मामले में प्रशासन ने स्पष्ट किया था कि दोनों व्यक्ति किसी भी मान्यता प्राप्त मीडिया संस्थान से जुड़े नहीं हैं, बल्कि फर्जी आईडी के सहारे खुद को पत्रकार बताकर ब्लैकमेलिंग जैसी गतिविधियों में लिप्त थे।
अब वही नाम एक बार फिर सुर्खियों में हैं — कुछ मीडिया प्लेटफ़ॉर्म उन्हें “सच्चाई की आवाज़” बताकर प्रसारित कर रहे हैं, जबकि प्रशासनिक अभिलेखों में वे ब्लैकलिस्टेड और अयोग्य घोषित किए जा चुके हैं।
पत्रकार संगठनों और वरिष्ठ संपादकों ने ऐसी हरकतों पर कड़ी नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि “फर्जी पहचान के सहारे सस्ती सुर्खियाँ बटोरने वाले” न केवल पत्रकारिता की आत्मा को चोट पहुँचा रहे हैं, बल्कि ईमानदार मीडियाकर्मियों की मेहनत और विश्वसनीयता पर भी कालिख पोत रहे हैं।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, ऐसे चैनलों व पोर्टलों की निगरानी शुरू कर दी गई है, जिन्होंने फर्जी व्यक्तियों को पत्रकार बताकर रिपोर्ट प्रसारित की है। उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
अब सवाल सिर्फ इतना है क्या पत्रकारिता की गरिमा बचाने के लिए ऐसे नकली चेहरों पर शिकंजा कसा जाएगा, या फिर लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ कुछ लोगों के स्वार्थ की भेंट चढ़ता रहेगा?
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