मरकज़ी सीरत कमेटी पर नहीं चला सियासी दबाव: सोशल मीडिया के दावों के बावजूद, न सदर बने न बिरयानी काम आई तामीर हसन शीबू जौनपुर । मरकज़ी सीरत क...
मरकज़ी सीरत कमेटी पर नहीं चला सियासी दबाव: सोशल मीडिया के दावों के बावजूद, न सदर बने न बिरयानी काम आई
तामीर हसन शीबू
जौनपुर। मरकज़ी सीरत कमेटी के आगामी कार्यक्रम को लेकर चल रही चुनावी हलचल पर अब विराम लग गया है। एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत इस बार कोई नया सदर नहीं चुना जाएगा, बल्कि पूर्व अध्यक्षों के सामूहिक नेतृत्व में ही ईद मिलादुन्नबी का आयोजन किया जाएगा। वर्तमान अध्यक्ष सद्दाम हुसैन सहित पूर्व अध्यक्षों ने यह सर्वसम्मत फैसला लेकर चुनावी दौड़ को विराम दे दिया है।
हालांकि, कमेटी के भीतर और बाहर सियासी गर्मी कम होने का नाम नहीं ले रही थी। एक राजनीतिक दल के नगर अध्यक्ष द्वारा सोशल मीडिया पर ज़ोर-शोर से स्वयं को अगला सदर घोषित करने की कोशिश की गई। बताया जाता है कि उन्होंने अपनी उम्मीदवारी पक्की करने के लिए "सियासी बिरयानी" तक परोसी, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उनके हाथ कुछ नहीं लगा।
स्थानीय चर्चाओं के अनुसार, इस अभियान का मास्टरमाइंड कोई और नहीं बल्कि एक तथाकथित पत्रकार था, जो लंबे समय से सीरत कमेटी का मीडिया प्रभारी बनकर मंच संचालन और प्रतिनिधित्व करता आ रहा है। अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, वह चाहता था कि कमेटी पर उसका पूरा दबदबा बना रहे, और नया सदर उसी के इशारे पर चले। पत्रकार की भूमिका निभाने वाले इस शख्स पर पहले भी पक्षपाती रिपोर्टिंग और अंदरूनी गुटबाज़ी को हवा देने के आरोप लगते रहे हैं।
कमेटी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अंजुमन, अखाड़ा और सजावट कमेटियों में भी इस बार अपेक्षित सहमति नहीं बन सकी। ऐसे में आयोजन की गरिमा को बचाए रखने के लिए पूर्व अध्यक्षों ने स्वयं आगे आकर कार्यक्रम की कमान संभालने का फैसला लिया है।
इस बार कार्यक्रम की अगुवाई असलम शेर ख़ान और अब्दुल अहद मुन्ने करेंगे। सूत्र यह भी बताते हैं कि मीडिया प्रभारी बनने की लालसा में एक खास पत्रकार द्वारा की जा रही अंदरूनी साज़िशें अब बेनकाब हो चुकी हैं, और कमेटी से जुड़े कई वरिष्ठ लोग अब उसकी भूमिका की समीक्षा की मांग कर रहे हैं।
नोटबंदी से लेकर 'बिरयानीबंदी' तक: मरकज़ी सीरत कमेटी में इस बार ठंडी रही सियासी गर्मी
जमीनी हकीकत यही है कि कमेटी से जुड़े लोग अब संगठन की पवित्रता को किसी भी बाहरी दबाव से बचाने के मूड में हैं। ऐसे में कमेटी की कार्यप्रणाली को लेकर नई पारदर्शिता की उम्मीद की जा रही है।
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