रिश्तों की सरहदें तोड़ गया राखी का धागा: आत्मिक बहन डॉ. शिल्पी ने डॉ. इम्तियाज की कलाई पर बाँधी मानवता की राखी तामीर हसन शीबू जौनपुर ।रक्षा...
रिश्तों की सरहदें तोड़ गया राखी का धागा: आत्मिक बहन डॉ. शिल्पी ने डॉ. इम्तियाज की कलाई पर बाँधी मानवता की राखी
तामीर हसन शीबू
जौनपुर।रक्षाबंधन केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक होता है। इस बार जौनपुर जिले में एक ऐसा मार्मिक दृश्य सामने आया, जिसने यह सिद्ध कर दिया कि रिश्ते खून से नहीं, भावनाओं से बनते हैं। डॉक्टर शिल्पी सिंह ने आत्मीयता से भरे रिश्ते की मिसाल पेश करते हुए पत्रकार व समाजसेवी डॉ. इम्तियाज अहमद सिद्दीकी की कलाई पर राखी बाँधी वह राखी जो सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि एक आत्मिक बंधन की संजीवनी है।
पहली मुलाक़ात बनी रिश्ते की बुनियाद
डॉ. सिद्दीकी भावुक होकर बताते हैं कि 16 मई 2018 का दिन मेरी ज़िंदगी में एक मोड़ लेकर आया। पत्नी की तबीयत खराब होने पर पहली बार डॉ. शिल्पी सिंह से अस्पताल में भेंट हुई। उस औपचारिक मुलाक़ात में ही एक अनकहा रिश्ता जुड़ गया।"
कुछ ही समय में यह रिश्ता औपचारिकता से ऊपर उठकर आत्मीयता में तब्दील हो गया। डॉ. शिल्पी ने उन्हें अपना भाई मान लिया और तभी से हर रक्षाबंधन पर यह परंपरा निभाई जा रही है।
राखी, जो सिर्फ परंपरा नहीं, संकल्प बन गई
इस वर्ष भी, जब डॉ. शिल्पी सिंह ने स्नेह और श्रद्धा से राखी बाँधी, तो वह केवल एक रस्म नहीं थी। उसमें सुरक्षा, आदर और जीवनपर्यंत साथ निभाने का व्रत भी बंधा हुआ था।
डॉ. इम्तियाज कहते हैं,कि हर साल जब यह राखी बंधती है, तो मेरा संकल्प और मज़बूत होता है। यह रिश्ता मुझे मेरे सामाजिक और मानवीय कर्तव्यों की याद दिलाता है।"
समाज को मिला संदेश इंसानियत ही सबसे बड़ा रिश्ता है
यह उदाहरण न केवल भावनात्मक है, बल्कि समाज को यह गूढ़ संदेश भी देता है कि धर्म, जाति या परंपरा से परे इंसानियत का धागा ही सबसे मजबूत रिश्ता होता है। ऐसे समय में जब समाज अक्सर भेदभाव की दीवारों में उलझा होता है, यह राखी हमें जोड़ने का काम कर रही है।
डॉ. इम्तियाज अहमद सिद्दीकी सिर्फ एक पत्रकार नहीं, बल्कि एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं।
11 वर्षों तक विभिन्न समाचार पत्रों में कार्य करते हुए वे वर्तमान में एक हिंदी दैनिक में सह-संपादक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सामाजिक विषयों पर अपनी स्पष्ट आवाज़ और कलम के ज़रिए वे समय-समय पर जनचेतना फैलाते रहे हैं।
इसके साथ ही, मुस्लिम लावारिस लाश इंतज़ामिया कमेटी, जौनपुर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप में वे सैकड़ों बेसहारा मृतकों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करवा चुके हैं।
रक्षाबंधन का असली संदेश
डॉ. शिल्पी सिंह और डॉ. इम्तियाज सिद्दीकी का यह आत्मिक संबंध रक्षाबंधन के पवित्र पर्व को एक नई ऊँचाई देता है। यह बताता है कि राखी केवल कलाई पर नहीं, दिलों में बाँधी जाती है
और जब धागा आत्मा से जुड़ता है, तो वह जीवनभर नहीं टूटता।
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