धार्मिक संस्थाओं पर सियासी कब्ज़े की साज़िश!—रहमानिया सीरत कमेटी पर दबंग सभासद और कांग्रेस नगर अध्यक्ष के हस्तक्षेप से विवाद गहराया तामीर हस...
धार्मिक संस्थाओं पर सियासी कब्ज़े की साज़िश!—रहमानिया सीरत कमेटी पर दबंग सभासद और कांग्रेस नगर अध्यक्ष के हस्तक्षेप से विवाद गहराया
तामीर हसन शीबू
जौनपुर। ढडियाना टोला स्थित रहमानिया सीरत कमेटी में इस समय सियासी दबाव और कब्ज़े की कोशिशों ने शांति और भाईचारे की परंपरा को तोड़ने का काम किया है। वर्तमान सदर नासिर जौनपुरी ने कांग्रेस से जुड़े दबंग सभासद और नगर अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों नेता दबंगई और धमकी के सहारे कमेटी का नियंत्रण छीनना चाहते हैं।
नासिर जौनपुरी ने कहा कि रहमानिया सीरत कमेटी का चुनाव हमेशा मोहल्ले के लोगों की राय और परंपरा से होता आया है। 2017 में दानिश इक़बाल को सदर चुना गया था और 2022 में आम सहमति से नासिर जौनपुरी को यह ज़िम्मेदारी मिली। उन्होंने 2023 का जलसा और जुलूस शांति से सम्पन्न कराया। लेकिन 2024 में शाहनवाज़ मंज़ूर ने बिना किसी अनुमति के खुद को सदर घोषित कर दिया।
डॉ. अब्दुल क़ादिर की मध्यस्थता से विवाद थमा और साफ़ कहा गया कि आगे से नासिर जौनपुरी ही सदर माने जाएंगे। इसके बावजूद बीते 26 अगस्त को शाहनवाज़ मंज़ूर ने कांग्रेस नगर अध्यक्ष आरिफ़ ख़ान को “सदर” घोषित कर पुरानी परंपरा और समझौते को दरकिनार कर दिया। इस कदम ने मोहल्ले के लोगों में गहरी नाराज़गी पैदा कर दी और धार्मिक आयोजन को अनावश्यक विवादों में घसीट दिया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहला मौका नहीं है जब संबंधित सभासद और नगर अध्यक्ष ने विवाद खड़ा किया हो। इससे पहले भी अंजुमन इदरीसिया के जलसे और मरकज़ी सीरत कमेटी में उनका हस्तक्षेप काफ़ी बवाल खड़ा कर चुका है। आरोप है कि कांग्रेस से जुड़े यह लोग धार्मिक मंचों को भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा और दबंगई की भेंट चढ़ा रहे हैं।
रहमानिया सीरत कमेटी के लोगों का कहना है कि संगठन पूरी तरह मोहल्ले की आस्था और सहयोग से चलता है, और इसे राजनीतिक स्वार्थ का अखाड़ा बनाने की अनुमति किसी भी कीमत पर नहीं दी जाएगी।
इस मामले पर अभी तक कांग्रेस नगर अध्यक्ष और संबंधित सभासद की ओर से कोई सफाई नहीं दी गई है।
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