सोशल मीडिया पर गूंजा नाम, सीरत कमेटी में फिरोज अहमद ‘पप्पू’ की दावेदारी को मिला व्यापक समर्थन सदर पद के लिए चुनाव 3 अगस्त को, अटाला मस्जिद ...
सोशल मीडिया पर गूंजा नाम, सीरत कमेटी में फिरोज अहमद ‘पप्पू’ की दावेदारी को मिला व्यापक समर्थन
सदर पद के लिए चुनाव 3 अगस्त को, अटाला मस्जिद में होगा मतदान
तामीर हसन शीबू
जौनपुर। मरकज़ी सीरत कमेटी के आगामी चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। कमेटी का यह महत्वपूर्ण चुनाव आगामी 3 अगस्त को अटाला मस्जिद परिसर में आयोजित किया जाएगा, जिसमें सदर पद के लिए मतदान होना तय है।
सदर पद की दौड़ में जहां कई दावेदार अपने-अपने स्तर पर समर्थन जुटाने में लगे हैं, वहीं फिरोज अहमद उर्फ ‘पप्पू’ की दावेदारी को सोशल मीडिया और आमजन के बीच जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। पब्लिक भारत न्यूज़ पोर्टल द्वारा फिरोज अहमद पप्पू की दावेदारी को लेकर खबर प्रसारित होते ही, सोशल मीडिया पर समर्थन की जैसे मानो बाढ़ सी आ गई।
फेसबुक, व्हाट्सएप ग्रुप्स और इंस्टाग्राम जैसे मंचों पर युवाओं से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक ने फिरोज अहमद पप्पू की ईमानदारी, समाजसेवा और वर्षों की सक्रियता की सराहना करते हुए उन्हें इस पद के लिए सर्वाधिक उपयुक्त बताया है।
20 वर्षों से कमेटी से जुड़े पप्पू को जनसमर्थन का लाभ?
जानकारों की मानें तो फिरोज अहमद पप्पू पिछले दो दशकों से मरकज़ी सीरत कमेटी से जुड़कर निरंतर सेवा कार्य करते रहे हैं और विभिन्न आयोजनों में कुशल संचालन और सहयोगी भूमिका के कारण उनकी मजबूत साख बनी हुई है। यही कारण है कि चुनाव से पहले ही उनका नाम सबसे मजबूत उम्मीदवार के रूप में उभरकर सामने आया है।
अन्य दावेदारों की स्थिति कमजोर, प्रचार में 'तथाकथित मिठ्ठू पत्रकार' सक्रिय
जहां एक ओर पप्पू को जनसरोकार और जमीन से जुड़े कार्यों का लाभ मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ अन्य दावेदारों को समर्थन दिलाने के लिए कुछ स्वार्थ-प्रेरित तथाकथित पत्रकार सक्रिय हो गए हैं। सूत्रों की मानें तो ये पत्रकार वही हैं जिनकी ‘रोजी-रोटी’ इन दावेदारों से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ी हुई है। अब वे अपनी कलम के ज़रिए सदर बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं, लेकिन जनता की नब्ज़ कुछ और ही इशारा कर रही है।
वहीं चर्चा यह भी है कि एक राजनीतिक दल से जुड़े स्थानीय नेता, जिनके करीबी लगातार विभिन्न दावतों में सक्रिय हैं, वे भी सदर पद को लेकर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन सोशल मीडिया और ज़मीनी फीडबैक से साफ है कि युवा वर्ग इस बार राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं, अनुभव और सेवा भावना को प्राथमिकता दे रहा है — और उनकी पसंद स्पष्ट रूप से फिरोज अहमद पप्पू हैं।
जैसे-जैसे चुनाव की तारीख़ नज़दीक आ रही है, मुकाबला रोचक होता जा रहा है। अब देखना होगा कि क्या सोशल मीडिया का समर्थन और जनविश्वास फिरोज अहमद पप्पू को मरकज़ी सीरत कमेटी का अगला सदर बना पाता है या समीकरणों में कोई नया मोड़ आता है।
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