खबर का असर या सुर्खियों की होड़? — दरोगा मंशा राम निलंबन प्रकरण में पत्रकारिता पर उठे सवाल तामीर हसन शीबू जौनपुर। सराय ख्वाजा थाना क्षेत्र ...
खबर का असर या सुर्खियों की होड़? — दरोगा मंशा राम निलंबन प्रकरण में पत्रकारिता पर उठे सवाल
तामीर हसन शीबू
जौनपुर।सराय ख्वाजा थाना क्षेत्र में तैनात दरोगा मंशा राम के वायरल धमकी वीडियो के बाद हुई विभागीय कार्रवाई ने जिले भर में हलचल मचा दी। लेकिन इस प्रकरण में जितनी चर्चा निलंबन की रही, उतनी ही सुर्खियाँ इस बात ने भी बटोरीं कि कुछ पत्रकारों ने इस कार्रवाई को ‘अपनी खबर का असर’ बताकर प्रचारित करना शुरू कर दिया।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, दरोगा के कथित आचरण पर स्वतः संज्ञान लेते हुए उच्चाधिकारियों ने जांच कर कार्रवाई की। वहीं, सोशल मीडिया पर एक से अधिक पत्रकारों द्वारा निलंबन की सूचना को “हमारी खबर का असर” बताते हुए प्रसारित किया गया, जिससे यह बहस फिर तेज हो गई कि क्या हर सार्वजनिक कार्रवाई को अपनी खबर का असर कह देना उचित है?
स्थानीय पत्रकारिता से जुड़े वरिष्ठ जनों का कहना है कि—
> “खबर का असर बताना पत्रकार का हक है, बशर्ते कि खबर में कुछ नया, विश्लेषणात्मक या साहसिक हो और उसी के बाद कार्रवाई हुई हो। केवल सार्वजनिक सूचना को उठाकर प्रकाशित करना और फिर उस पर कार्रवाई का श्रेय लेना, पत्रकारिता के सिद्धांतों के साथ न्याय नहीं है।”
इस पूरे प्रकरण ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि—
क्या कुछ पत्रकार सुर्खियाँ बटोरने के लिए खबरों के असर का दावा कर रहे हैं, या वास्तव में पत्रकारिता ने सच में असर दिखाया है?
अब देखना यह है कि इस बहस से जमीनी पत्रकारिता की साख मजबूत होगी या आत्ममंथन का अवसर।
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