स्वर्ण व्यवसायी के बेटे की संदिग्ध मौत, बिना पोस्टमार्टम हुआ अंतिम संस्कार बना जांच पर सवालिया निशान पुलिस की निष्क्रियता और परिजनों की जल्...
स्वर्ण व्यवसायी के बेटे की संदिग्ध मौत, बिना पोस्टमार्टम हुआ अंतिम संस्कार बना जांच पर सवालिया निशान
पुलिस की निष्क्रियता और परिजनों की जल्दबाजी ने जन्म दिए कई अनसुलझे सवाल, वायरल हुआ सुसाइड नोट
तामीर हसन शीबू
जौनपुर। नगर के प्रतिष्ठित स्वर्ण व्यवसायी गहना कोठी परिवार के युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। 17 जून 2025 की शाम ख्वाजा दोस्त क्षेत्र से एक घायल युवक को जिला चिकित्सालय लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृत युवक शहर के जाने-माने आभूषण व्यवसायी गहना कोठी परिवार का बेटा था।
चिकित्सकों द्वारा मृत्यु घोषित किए जाने के बाद परिजनों ने युवक का शव अस्पताल से यह कहकर ले लिया कि वे किसी अन्य डॉक्टर की राय लेना चाहते हैं। लेकिन अगले ही दिन 18 जून को बिना पोस्टमार्टम कराए ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
इस घटना के बाद न सिर्फ चिकित्सा तंत्र बल्कि पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल प्रशासन ने मृतक की सूचना तत्काल नगर कोतवाली पुलिस को दी थी, परंतु पुलिस ने मौके पर पहुंचने या शव को कब्जे में लेने की कोई पहल नहीं की।
थाना प्रभारी मिथलेश मिश्रा से इस बाबत पूछने पर उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया और सवालों को टालते नजर आए।
इस बीच, मृतक का एक कथित सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसने मामले को और अधिक संवेदनशील और संदेहास्पद बना दिया है।
कानूनविदों और सामाजिक विश्लेषकों का कहना है कि संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने पर पोस्टमार्टम अनिवार्य होता है, ताकि मौत के वास्तविक कारणों की पुष्टि की जा सके। परिजनों द्वारा अंतिम संस्कार की जल्दबाजी में लिया गया यह निर्णय जांच के लिए गंभीर बाधा बन गया है।
स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि यह मामला आम नागरिक का होता तो पुलिस पूरी सख्ती के साथ कार्रवाई करती। लेकिन इस मामले में स्वर्ण व्यवसायी परिवार का प्रभाव नजर आ रहा है, जिससे पुलिस की भूमिका पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या परिजन सामाजिक दबाव या किसी अन्य कारणवश जल्दबाजी में अंतिम संस्कार कर बैठे, या फिर कुछ छिपाने की कोशिश की गई?
यह मामला प्रशासन और समाज दोनों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। पुलिस और प्रशासन से अपेक्षा है कि वह मामले की निष्पक्ष जांच करते हुए वायरल सुसाइड नोट की भी फॉरेंसिक जांच कराए, ताकि सच्चाई सामने आ सके और भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।
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