जौनपुर पुलिस पर गंभीर आरोप: फर्जी मुकदमा दर्ज कर पीड़ित परिवार को प्रताड़ित करने का आरोप, ADG वाराणसी को भेजी गई शिकायत तामीर हसन शीबू जौन...
जौनपुर पुलिस पर गंभीर आरोप: फर्जी मुकदमा दर्ज कर पीड़ित परिवार को प्रताड़ित करने का आरोप, ADG वाराणसी को भेजी गई शिकायत
तामीर हसन शीबू
जौनपुर/बागपत के निवासी निश्चय राणा ने जौनपुर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए वाराणसी जोन के अपर पुलिस महानिदेशक को एक विस्तृत शिकायत पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने खुद को और अपने परिवार को न्याय न मिलने के बजाय झूठे मामलों में फंसाए जाने की बात कही है। प्रार्थी ने पुलिस और कुछ आपराधिक तत्वों के बीच मिलीभगत का सनसनीखेज खुलासा करते हुए कार्रवाई की मांग की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, निश्चय राणा के पिता स्वर्गीय बृजपाल सिंह की वर्ष 2012 में बीच बाजार ग्राम निरपुड़ा में हत्या कर दी गई थी। उस समय निश्चय की उम्र मात्र 19 वर्ष थी। जब उन्होंने पिता के हत्यारों के खिलाफ पैरवी शुरू की, तो उन पर जानलेवा हमला किया गया। हमले के बाद भी निश्चय पीछे नहीं हटे, लेकिन आरोप है कि क्षेत्र के हिस्ट्रीशीटर अपराधी बाबू और नीरज ने ग्राम प्रधान प्रताप सिंह राणा और प्रेमवीर सिंह राणा के साथ मिलकर उन्हें मुकदमों से हटने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया।
जब निश्चय ने झुकने से इनकार कर दिया तो उन पर झूठे मुकदमे दर्ज कराने की साजिश की गई। आरोप है कि जौनपुर के थाना लाइन बाजार में वर्ष 2019 की एक झूठी घटना को आधार बनाकर वर्ष 2023 में एक फर्जी एफआईआर (संख्या 493/23) दर्ज कराई गई, जिसमें IPC की गंभीर धाराओं जैसे 420, 342, 374, 323, 506, और 328 तक को शामिल किया गया। यह मामला रामआसरे सिंह नामक व्यक्ति द्वारा दर्ज कराया गया, जिसे प्रार्थी के अनुसार रुपयों का लालच देकर फर्जी शिकायत के लिए उकसाया गया।
प्रार्थी ने आरोप लगाया कि उस समय के थाना प्रभारी संजय वर्मा और विवेचक उपनिरीक्षक गोपाल तिवारी ने भी अपराधियों से आर्थिक लाभ लेकर पूरी घटना की फर्जी रूपरेखा तैयार की और निर्दोष लोगों के विरुद्ध धारा 41 सीआरपीसी की नोटिस भेजते हुए झूठा आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया।
हालांकि, बाद में विवेचक रमेश यादव द्वारा इस मामले की पुनः विवेचना के पश्चात इसे झूठा और निराधार पाते हुए दिनांक 23 नवंबर 2024 को अंतिम रिपोर्ट B-1/43 के तहत खारिज कर दिया गया।
निश्चय राणा ने अपनी शिकायत में मांग की है कि उक्त आरोपित—प्रताप सिंह राणा, प्रेमवीर सिंह राणा, रतनवीर उर्फ मोनू, बाबू, नीरज, रामआसरे सिंह, संजय वर्मा (तत्कालीन थाना प्रभारी) एवं गोपाल तिवारी (उपनिरीक्षक) सहित अन्य अज्ञात अभियुक्तों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धाराओं 420, 467, 468, 469, 471, 506, 120-B के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
जनता और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए यह मामला अब पुलिस की निष्पक्षता और पारदर्शिता की परीक्षा बन चुका है।
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