मासिक धर्म स्वच्छता पर टूटी चुप्पी, जागरूक हुईं छात्राएं – अल्बर्ट डेविड लिमिटेड की सराहनीय पहल तामीर हसन शीबू जौनपुर ,विश्व मासिक धर्म स्व...
मासिक धर्म स्वच्छता पर टूटी चुप्पी, जागरूक हुईं छात्राएं – अल्बर्ट डेविड लिमिटेड की सराहनीय पहल
तामीर हसन शीबू
जौनपुर,विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर मंगलवार को अल्बर्ट डेविड लिमिटेड द्वारा एक विशेष जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कृष्णा पैरामेडिकल एवं नर्सिंग कॉलेज, जौनपुर में किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्राओं को मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों से मुक्त कर जागरूकता की ओर प्रेरित करना रहा।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जौनपुर की प्रसिद्ध स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ व आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. मधु शारदा रहीं। अपने सारगर्भित एवं प्रेरक संबोधन में उन्होंने मासिक धर्म को लेकर समाज में व्याप्त चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा, “मासिक धर्म कोई शर्म का विषय नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे समझना और सहजता से स्वीकार करना हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है।”
उन्होंने छात्राओं से आह्वान किया कि वे इस विषय पर खुलकर बात करें, आत्मविश्वास के साथ आगे आएं और अन्य युवतियों को भी जागरूक करें।
इस अवसर पर वेजाइनल इन्फेक्शन में प्रोबायोटिक्स की भूमिका पर भी चर्चा की गई, जिसमें बताया गया कि कैसे प्रोबायोटिक्स संपूर्ण प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मददगार सिद्ध हो सकते हैं। छात्राओं को स्वच्छता बनाए रखने के व्यावहारिक उपायों और सावधानियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई।
कार्यक्रम के दौरान कॉलेज की प्राचार्या कुमार सभ्यता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन छात्राओं के भीतर सकारात्मक सोच और आत्मबल को सुदृढ़ करते हैं। उन्होंने कहा, “आज की छात्राएं कल की समाज-निर्माता हैं, यदि उन्हें सही जानकारी और मार्गदर्शन मिले, तो वे समाज में बदलाव की अग्रदूत बन सकती हैं।”
अल्बर्ट डेविड लिमिटेड की ओर से कार्यक्रम संयोजक देवेश गुप्ता ने छात्राओं को मासिक धर्म स्वच्छता की शपथ दिलाई कि वे इस जानकारी को समाज के अन्य वर्गों तक पहुंचाएं और इस विषय पर चुप्पी तोड़ने की पहल करें।
कार्यक्रम में दर्जनों छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और विषय से जुड़ी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया।
यह आयोजन न केवल स्वास्थ्य जागरूकता का मंच था, बल्कि यह सामाजिक मानसिकता में बदलाव की ओर एक सार्थक कदम भी साबित हुआ। मासिक धर्म जैसे संवेदनशील विषय पर खुली चर्चा कर आयोजकों ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह जिम्मेदारी केवल महिलाओं की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है।
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