निजी अस्पतालों में डिलीवरी के नाम पर जान का खतरा बताकर जबरन ऑपरेशन, चंद रुपयों के लिए मां-शिशु की सेहत से खिलवाड़! तामीर हसन शीबू जौनपुर । ज...
निजी अस्पतालों में डिलीवरी के नाम पर जान का खतरा बताकर जबरन ऑपरेशन, चंद रुपयों के लिए मां-शिशु की सेहत से खिलवाड़!
तामीर हसन शीबू
जौनपुर। जनपद में निजी अस्पतालों की मनमानी लगातार मरीजों की जान पर भारी पड़ रही है। हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां सामान्य प्रसव (नॉर्मल डिलीवरी) की पूरी संभावना होने के बावजूद डॉक्टरों ने परिजनों को डराकर जबरन ऑपरेशन (सीजेरियन) के लिए बाध्य किया। आरोप है कि चंद रुपयों की लालच में न केवल महिलाओं को अनावश्यक सर्जरी से गुजरना पड़ रहा है, बल्कि कई मामलों में नवजात और माताओं की जान भी जोखिम में डाल दी जाती है
स्वास्थ्य विभाग के नियमों के मुताबिक केवल चिकित्सकीय आवश्यकता पड़ने पर ही सर्जरी की अनुमति है। लेकिन निजी अस्पतालों में भर्ती होते ही सबसे पहले "जान का खतरा" जताकर मरीज को मानसिक रूप से कमजोर कर दिया जाता है। फिर परिजनों को डराया जाता है कि “अब ऑपरेशन ही एकमात्र विकल्प है, नहीं तो मां-बच्चे की जान जा सकती है।” मजबूर परिजन डॉक्टरों की बातों में आकर मोटी रकम चुकाकर ऑपरेशन की स्वीकृति दे देते हैं।
कमीशनखोरी और पैसों का खेल
चिकित्सा सूत्रों के अनुसार, सीजेरियन डिलीवरी में अस्पतालों को सामान्य डिलीवरी की तुलना में 3 से 5 गुना अधिक आमदनी होती है। ऑपरेशन के नाम पर बेवजह दवाइयों, इंजेक्शन, बेड चार्ज और ऑपरेशन थियेटर फीस वसूल कर मोटी कमाई की जाती है। यही नहीं, कई जगहों पर यह भी देखने को मिला है कि अल्ट्रासाउंड, पैथोलॉजी, मेडिकल स्टोर और एंबुलेंस सेवा से भी अस्पताल संचालकों को कमीशन मिलता है।
स्वास्थ्य विभाग मौन क्यों?
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस गंभीर समस्या पर मौन साधे हुए हैं। न कोई नियमित जांच, न ही शिकायतों पर कार्रवाई। यही कारण है कि निजी अस्पतालों की मनमानी चरम पर पहुंच गई है। नर्सिंग होम एक्ट और मातृ स्वास्थ्य सुरक्षा नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।
जनता की मांग कड़ी जांच और सख्त कार्रवाई
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि ऐसे अस्पतालों के खिलाफ सख्त जांच कर कार्रवाई की जाए। डिलीवरी के मामलों की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित की जाए जो यह सुनिश्चित करे कि केवल वास्तविक जरूरत पर ही ऑपरेशन किया जाए।
यदि समय रहते इस व्यवस्था पर रोक नहीं लगी तो यह व्यापार महिलाओं की जान के साथ एक खतरनाक खिलवाड़ बनकर उभरेगा।
COMMENTS