मानकविहीन नर्सिंग होम का बोलबाला, स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल तामीर हसन शीबू जौनपुर ।उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भ्रष्टाचार प...
मानकविहीन नर्सिंग होम का बोलबाला, स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
तामीर हसन शीबू
जौनपुर।उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर सख्ती और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट नजर आ रही है। जौनपुर में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी सरकारी नियमों को ताक पर रखकर कार्य कर रहे हैं। खास बात यह है कि इन भ्रष्ट अधिकारियों और मानकों को दरकिनार कर चल रहे निजी नर्सिंग होमों पर सरकार का बुलडोजर अब तक नहीं चल सका है, क्योंकि इनके पीछे कहीं न कहीं शासन और प्रशासन की मिलीभगत मानी जा रही है।
बिना विशेषज्ञ डॉक्टर के हो रहे ऑपरेशन, मरीजों की जान से खिलवाड़
प्राइवेट अस्पतालों को खोलने और संचालित करने के लिए सरकार ने सख्त नियम-कानून बनाए हैं, लेकिन हकीकत यह है कि जनपद में लगभग सभी निजी अस्पताल इन नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। कई नर्सिंग होमों में ऐसे चिकित्सक कार्यरत हैं जिनके पास न तो कोई मान्यता प्राप्त डिग्री है और न ही कोई विशेषज्ञता, इसके बावजूद वे गंभीर ऑपरेशन करने से भी नहीं हिचकते।
इन अस्पतालों में इलाज के नाम पर मरीजों की जिंदगी से खुला खेल खेला जा रहा है, और आश्चर्य की बात यह है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस पूरे मामले पर पूरी तरह मौन साधे हुए हैं।
जनता की कमाई पर चल रहा है लूट का खेल
इन अस्पतालों ने गरीब जनता की खून-पसीने की कमाई को लूटने का अड्डा बना लिया है। डॉक्टर को भगवान मानने वाली जनता अब ठगी और लापरवाही का शिकार हो रही है। नर्सिंग होम संचालकों ने चिकित्सा सेवा को व्यवसाय बना लिया है और मौत के सौदागर बन चुके हैं।
नगर से लेकर गांव तक, तमाम इलाकों में अवैध रूप से अस्पताल संचालित हो रहे हैं, जिनमें प्रशिक्षित डॉक्टर तो दूर, योग्य नर्सिंग स्टाफ तक नहीं है। नर्सिंग होम एक्ट और अन्य आवश्यक लाइसेंस के बिना ये अस्पताल बेरोकटोक चल रहे हैं।
सीएमओ कार्यालय में दलाली का बोलबाला, रजिस्ट्रेशन के नाम पर रिश्वतखोरी
स्वास्थ्य विभाग के मुख्य कार्यालय यानी सीएमओ ऑफिस का हाल भी किसी दलालों के अड्डे से कम नहीं रह गया है। सूत्रों की मानें तो यहां रजिस्ट्रेशन के नाम पर खुलेआम 25 से 30 हजार रुपये की मांग की जाती है। सवाल यह उठता है कि क्या इस रिश्वतखोरी में केवल बाबू शामिल हैं, या फिर अधिकारियों की भी मिलीभगत है? यह जांच का विषय है।
उच्च अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल
जिले में मानकविहीन अस्पतालों की भरमार और प्रशासनिक चुप्पी से आमजन में आक्रोश है। सूत्रों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग को इन अस्पतालों के अवैध गतिविधियों की पूरी जानकारी है, लेकिन विभागीय संरक्षण के चलते अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।
यह बड़ा सवाल है कि क्या जिले के उच्च अधिकारी और जिलाधिकारी इस गोरखधंधे पर लगाम लगाने में सक्षम हैं या यह भ्रष्ट व्यवस्था यूं ही आम जनता की जान से खेलती रहेगी?
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