वक्फ संपत्तियों की दुर्दशा, साजिश और सियासत का अड्डा बनी ऐतिहासिक नगरी तामीर हसन शीबू जौनपुर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध अब वक...
वक्फ संपत्तियों की दुर्दशा, साजिश और सियासत का अड्डा बनी ऐतिहासिक नगरी
तामीर हसन शीबू
जौनपुर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध अब वक्फ संपत्तियों के संदिग्ध प्रबंधन और अनैतिक गतिविधियों को लेकर सुर्खियों में है। जिले में सुन्नी और शिया दोनों ही वर्गों की वक्फ संपत्तियों की संख्या 8 हजार से अधिक है, लेकिन जिन संस्थाओं और जिम्मेदारों पर इन संपत्तियों की देखरेख का दायित्व है, वे ही इनका दुरुपयोग करने के आरोपों में घिरते नजर आ रहे हैं।
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि वक्फ कमेटी के पदाधिकारी व सदर मुतवल्ली वक्फ की संपत्तियों की रक्षा करने की बजाय, भूमाफियाओं और निजी स्वार्थों की पूर्ति में लगे हुए हैं। जब वक्फ की भूमि पर अवैध कब्जा होता है, तो यह पदाधिकारी मौन साध लेते हैं। वक्फ की दुकानों के असली किरायेदारों को बाहर कर नई व्यवस्था बनाकर उससे मोटी रकम वसूली जाती है।
इतना ही नहीं, वक्फ बोर्ड की रसीदों में वास्तविक धनराशि की बजाय कम राशि अंकित कर, शेष धन निजी जेबों में भरा जा रहा है। दुकानदारों और भवन किरायेदारों से मरम्मत या नवीनीकरण की अनुमति के नाम पर "भेंट स्वरूप" भारी रकम ली जा रही है। यह सब एक सुनियोजित साजिश के तहत हो रहा है जिसमें कथित रूप से पदाधिकारी, राजनैतिक संरक्षण और भूमाफिया की तिकड़ी शामिल है।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि वक्फ की भूमि को नियमों को दरकिनार कर भूमाफियाओं को सौंपा जा रहा है, जिससे न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच रही है बल्कि वक्फ अधिनियम की भी खुलेआम अवहेलना हो रही है।
स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों का कहना है कि यदि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, तो बड़ी संख्या में अनैतिक और भ्रष्टाचार में लिप्त चेहरों का पर्दाफाश संभव है।
इस मुद्दे पर शासन और वक्फ बोर्ड की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। अब देखना यह है कि क्या कोई ठोस कार्रवाई होती है या फिर जौनपुर की यह ऐतिहासिक विरासत साजिशों की भेंट चढ़ती रहेगी।
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