"बंदियों के इलाज में भगवान भरोसे, डॉक्टर को मिला 'कर्तव्यनिष्ठा' का तमगा!" तामीर हसन शीबू जौनपुर। जिला कारागार में बीमार ...
"बंदियों के इलाज में भगवान भरोसे, डॉक्टर को मिला 'कर्तव्यनिष्ठा' का तमगा!"
तामीर हसन शीबू
जौनपुर।जिला कारागार में बीमार बंदियों की बदहाली को दरकिनार करते हुए स्वास्थ्य सेवाओं की ‘झूठी चमक’ को एक बार फिर चमकाने की कोशिश की गई है। जिला अस्पताल के डॉक्टर प्रभात सिंह को, जिन्हें दो साल से बुधवार-बुधवार जिला जेल भेजा जा रहा है, ‘कर्तव्यनिष्ठा’ के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
हैरानी की बात ये है कि जेल के भीतर जिन बंदियों को इलाज मिलना चाहिए, वे आज भी मामूली दवाओं और प्रतीक्षा सूची के भरोसे हैं। लेकिन डॉक्टर साहब को सम्मान इस बात का मिल गया कि वे कभी-कभी आकर दो-चार सिरदर्द की गोली बांट जाते हैं। इलाज हो न हो, लेकिन ‘समर्पण’ का अभिनय जरूर हो रहा है – और उसी का नाम पड़ गया है “मानवता का मिसाल।”
जेल अधीक्षक डॉ. विनय कुमार ने तो कर्तव्यनिष्ठा की नई परिभाषा ही रच दी – दिखावे की हाजिरी और रस्मी इलाज को ‘उचित एवं संतोषजनक चिकित्सा’ बताकर प्रमाणपत्र थमा दिया।
वहीं डॉ. प्रभात सिंह ने भावविभोर होते हुए कहा कि वे 24 घंटे सेवा को तत्पर हैं – हालांकि बंदियों का अनुभव कुछ और ही कहता है। अगर उनकी तत्परता इतनी ही प्रभावशाली होती, तो शायद जेल के भीतर बीमारियों की कतारें कम हो गई होतीं।
जेल प्रशासन और जिला अस्पताल के इस मिलन समारोह ने एक बात तो साफ कर दी – प्रशंसा पत्र अब सेवाओं की गुणवत्ता के लिए नहीं, बल्कि चेहरे की चमक बढ़ाने के लिए बांटे जा रहे हैं।
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