कांग्रेस के नव नियुक्त जिलाध्यक्ष व शहर अध्यक्ष की कार्यशैली पर उठे सवाल, वरिष्ठ नेताओं ने बताई अनुभव की कमी तामीर हसन शीबू जौनपुर कांग्रे...
कांग्रेस के नव नियुक्त जिलाध्यक्ष व शहर अध्यक्ष की कार्यशैली पर उठे सवाल, वरिष्ठ नेताओं ने बताई अनुभव की कमी
तामीर हसन शीबू
जौनपुर कांग्रेस में हाल ही में हुए संगठनात्मक बदलाव के बाद पार्टी के भीतर ही असंतोष की आवाज़ें उठने लगी हैं। नव नियुक्त जिला अध्यक्ष प्रमोद सिंह और शहर अध्यक्ष आरिफ खां की कार्यशैली को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। खासकर स्थानीय पत्रकारों के बीच इस बात को लेकर नाराज़गी है कि कांग्रेस के नए कर्णधारों ने तथाकथित चाटुकार और निजी स्वार्थ से जुड़े पत्रकारों को प्राथमिकता दी, जबकि वर्षों से मेहनत कर रहे रजिस्टर्ड और सक्रिय पत्रकारों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
पत्रकारिता जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि किसी भी राजनीतिक दल के लिए मीडिया एक सेतु का काम करता है, लेकिन कांग्रेस के नए नेतृत्व ने अपनी शुरुआत ही इस सेतु को दरकिनार कर की है। स्थानीय मीडिया में सक्रिय और प्रमाणित पत्रकारों का कहना है कि पार्टी के कार्यक्रमों की जानकारी तक नहीं दी जाती, प्रेस नोट की बजाय व्यक्तिगत समीकरणों के आधार पर खबरें चलवाने का प्रयास किया जा रहा है। इससे न केवल संगठन की छवि धूमिल हो रही है, बल्कि पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस पार्टी के ही कुछ पुराने और अनुभवी नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि संगठन को मजबूत करने के लिए अनुभव और समावेशी सोच जरूरी होती है। “आज पार्टी को जो लोग नेतृत्व दे रहे हैं, उनमें अनुभव की स्पष्ट कमी दिखाई देती है। वे पार्टी की विचारधारा और कार्यशैली को समझे बिना आगे बढ़ रहे हैं,” एक वरिष्ठ नेता ने कहा।
वहीं, कांग्रेस से लंबे समय से जुड़े एक पूर्व पदाधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि “यदि संगठनात्मक कार्यों में पारदर्शिता और समर्पण की भावना नहीं रही, तो ऐसे प्रयास अल्पकालिक सिद्ध होंगे। मीडिया को दरकिनार कर कोई भी राजनीतिक संगठन जनता से संवाद नहीं बना सकता।”
कुल मिलाकर, कांग्रेस पार्टी के जौनपुर इकाई में हुए बदलावों ने जहां एक ओर नई उम्मीदें जगाई थीं, वहीं अब शुरुआती दौर में ही कार्यशैली पर उठते सवालों ने नेतृत्व के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। देखना होगा कि पार्टी के नए पदाधिकारी इन आलोचनाओं से क्या सबक लेते हैं और क्या सही मायनों में सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की पहल करते हैं या नहीं
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