शिक्षा सुधार के दावों की खुली पोल: बीएसए की लापरवाही से बच्चे हुए शिक्षा से वंचित तामीर हसन शीबू जौनपुर गौराबादशाहपुर जिले की शिक्षा व्यवस्...
शिक्षा सुधार के दावों की खुली पोल: बीएसए की लापरवाही से बच्चे हुए शिक्षा से वंचित
जौनपुर गौराबादशाहपुर जिले की शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाले बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) गोरखनाथ पटेल की कार्यशैली अब सवालों के घेरे में है। सरकारी विद्यालयों में सुधार के नाम पर लाखों की योजनाएं, निरीक्षण की औपचारिकताएं और प्रचार-प्रसार तो ज़ोरों पर हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे एकदम उलट है।
ताजा मामला गौराबादशाहपुर कस्बे के इंग्लिश मीडियम प्राथमिक विद्यालय द्वितीय का है, जहां सोमवार सुबह 8:20 बजे तक स्कूल का गेट बंद मिला और ताला लटका रहा। दर्जनों बच्चे स्कूल के बाहर खड़े होकर अध्यापक का इंतजार करते रहे, लेकिन कोई जिम्मेदार व्यक्ति समय पर स्कूल नहीं पहुंचा। निराश बच्चे लौट गए और अभिभावकों में गुस्सा साफ नजर आया।
प्रशासनिक ढुलमुल रवैया या मिलीभगत?
यह कोई पहली बार नहीं है जब जिले के किसी सरकारी विद्यालय में इस तरह की लापरवाही सामने आई हो। इससे पहले भी कई बार शिक्षकों के गैरहाजिर रहने की शिकायतें आईं, लेकिन बीएसए कार्यालय ने सिर्फ खानापूरी कर मामले को रफा-दफा कर दिया। सवाल उठता है कि क्या बीएसए गोरखनाथ पटेल की निगरानी व्यवस्था इतनी कमजोर है कि उन्हें जमीनी स्तर पर चल रही गड़बड़ियों की भनक तक नहीं लगती? या फिर ये सब उनकी जानकारी में होते हुए भी जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है?
शिक्षा विभाग का भरोसा टूटता जा रहा है
जिन नन्हें बच्चों को शिक्षा के अधिकार के तहत बेहतर भविष्य का सपना दिखाया जाता है, वे जब स्कूल के बाहर ताले लगे पाते हैं, तो उनका शिक्षा पर से विश्वास डगमगाने लगता है। यह स्थिति न सिर्फ एक विद्यालय तक सीमित है, बल्कि पूरे जिले में शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही है।
खंड शिक्षाधिकारी ने जांच का दिया आश्वासन
मामले की जानकारी मिलने पर खंड शिक्षाधिकारी धर्मापुर ने कहा कि पूरे प्रकरण की जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जाएगी। लेकिन यह बयान भी अब एक रटी-रटाई औपचारिकता लगने लगा है, क्योंकि ऐसे मामलों में कार्रवाई की बजाय लीपापोती ज्यादा देखने को मिलती है।
आखिर कब जागेगा बीएसए कार्यालय?
बीएसए गोरखनाथ पटेल को अब यह तय करना होगा कि वे शिक्षा विभाग को सही दिशा में ले जाना चाहते हैं या फिर ऐसे लापरवाह शिक्षकों की ढाल बनकर कार्य करना जारी रखेंगे। यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो जिले की शिक्षा व्यवस्था रसातल में जाने से कोई नहीं रोक सकता।
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