बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ गोरखनाथ पटेल की घोर लापरवाही से नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं पंचहटिया विद्यालय के छात्र और शिक्षक तामीर हसन शीबू ...
बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ गोरखनाथ पटेल की घोर लापरवाही से नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं पंचहटिया विद्यालय के छात्र और शिक्षक
तामीर हसन शीबू
जौनपुर – शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने का दावा करने वाले बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ गोरखनाथ पटेल की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। शहर क्षेत्र के कम्पोजिट विद्यालय पंचहटिया की नारकीय स्थिति बीते पाँच वर्षों से जस की तस बनी हुई है, लेकिन अधिकारी महोदय सिर्फ आश्वासनों की घिसी-पिटी भाषा बोलकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते रहे हैं।
विद्यालय में बजबजाती नालियों का गंदा पानी पूरे परिसर में फैला रहता है, जिसके बीच बच्चों को पढ़ाई करनी पड़ती है। शिक्षक और विद्यार्थी सुबह स्नान-ध्यान कर घर से आते हैं, लेकिन स्कूल पहुंचते ही उन्हें गंदगी और बदबू के बीच पूरा दिन गुजारना पड़ता है। यह स्थिति न सिर्फ उनकी सेहत को नुकसान पहुँचा रही है, बल्कि संक्रमण फैलने का खतरा भी बना हुआ है।
विद्यालय की प्राध्यापक अर्चना रानी ने बताया कि कई शिक्षक और विद्यार्थी लगातार बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता। विगत पाँच वर्षों से दर्जनों प्रार्थना पत्र दिए जा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। हर बार शिक्षा विभाग से यही जवाब मिलता है – “मामला संज्ञान में है, जल्द समाधान होगा।”
डॉ गोरखनाथ पटेल की यह घोर लापरवाही दर्शाती है कि उन्हें जमीनी हकीकत से कोई सरोकार नहीं है। जिले के एक छोर से दूसरे छोर तक निरीक्षण कर सुधार के दावे करने वाले अधिकारी अपने ही जिले के शहर क्षेत्र में स्थित एक प्रमुख विद्यालय की दुर्दशा नहीं सुधार सके। यह स्थिति सीधे तौर पर उनकी नाकामी को उजागर करती है।
पंचहटिया विद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी कब तक इस गंदगी और संक्रमण के माहौल में जीवन बिताते रहेंगे? क्या किसी बड़े हादसे या बीमारी की चपेट में आने के बाद ही प्रशासन जागेगा? यह एक गंभीर सवाल है, जिसका जवाब अब गोरखनाथ पटेल को देना होगा।
जनता और अभिभावकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है, और यदि जल्द से जल्द इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं हुआ, तो यह मामला शिक्षा विभाग की बड़ी नाकामी के रूप में सामने आएगा।
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