शुभम निषाद केस: परिजनों का आरोप निकला बेबुनियाद, सीएमओ की रिपोर्ट में खुलासा डॉक्टर रमित सिंह ने भेजा कानूनी नोटिस तामीर हसन शीबू जौनपुर ...
शुभम निषाद केस: परिजनों का आरोप निकला बेबुनियाद, सीएमओ की रिपोर्ट में खुलासा
डॉक्टर रमित सिंह ने भेजा कानूनी नोटिस
तामीर हसन शीबू
जौनपुर। शहर के प्रतिष्ठित शेखर कांति हॉस्पिटल पर लगे गंभीर आरोपों को सीएमओ जांच ने सिरे से खारिज कर दिया है। शुभम निषाद नामक युवक की मृत्यु के बाद उसके परिजनों द्वारा लगाए गए आरोप जांच में झूठे पाए गए हैं। परिजनों ने दावा किया था कि युवक की मौत तीन दिन पहले हो गई थी, इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के नाम पर पैसे वसूलते रहे।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. लक्ष्मी सिंह के निर्देश पर एडिशनल सीएमओ डॉ. प्रभात कुमार द्वारा की गई जांच में पाया गया कि शुभम निषाद 3 अप्रैल को अस्पताल में जीवित था और वेंटिलेटर पर था। उसी दिन उसकी मृत्यु हुई, जिसकी पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हुई है।
शुभम निषाद, जो एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुआ था, का इलाज नईगंज स्थित शेखर कांति हॉस्पिटल में चल रहा था। 3 अप्रैल को उसकी मृत्यु हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि मौत की जानकारी उन्हें तीन दिन बाद दी गई और इलाज के नाम पर पैसे लिए गए। इससे आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया और डीएम से शिकायत भी की।
डीएम के आदेश पर मामले की जांच सीएमओ को सौंपी गई। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि शुभम की मृत्यु 3 अप्रैल को ही हुई थी, और उसके पहले वह जीवित था। सीएमओ डॉ. लक्ष्मी सिंह ने बताया कि सभी दस्तावेज और रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करते हैं कि परिजनों का आरोप बेबुनियाद था।
शेखर कांति हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. रमित चंद सिंह ने बताया कि परिजनों और दो यूट्यूब चैनलों द्वारा सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ झूठी खबरें फैलाई गईं, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा। डॉ. सिंह ने मृतक शुभम के परिजनों और दो यूट्यूबरों को मानहानि के तहत कानूनी नोटिस भेजा है।
डॉ. सिंह ने स्पष्ट किया कि परिजनों से किसी प्रकार की धनराशि नहीं ली गई थी और इलाज के दौरान हर संभव प्रयास किया गया था। कानूनी नोटिस भेजे जाने के बाद सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें फैलाने वालों में खलबली मच गई है।
सीएमओ जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर यह साफ हो गया है कि शुभम निषाद की मौत को लेकर लगाए गए आरोप झूठे हैं और अस्पताल प्रबंधन ने अपने कर्तव्यों का पालन किया।
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