शिया जामा मस्जिद में रमज़ान के पहले जुमा की नमाज़ अदा, मौलाना महफूजुल हसन खां साहब ने किया खुतबा तामीर हसन शीबू जौनपुर । माह-ए-रमज़ान की र...
शिया जामा मस्जिद में रमज़ान के पहले जुमा की नमाज़ अदा, मौलाना महफूजुल हसन खां साहब ने किया खुतबा
तामीर हसन शीबू
जौनपुर। माह-ए-रमज़ान की रहमतों और बरकतों से सराबोर माहौल में शुक्रवार को जौनपुर की शिया जामा मस्जिद में पहले जुमा की नमाज़ अदा की गई। इस खास मौके पर इमामे जुमा हुज्जतुल इस्लाम मौलाना महफूजुल हसन खां साहब ने खुतबा दिया और नमाज़ की इमामत कराई।
नमाज़-ए-जुमा की अदायगी के लिए सुबह से ही मस्जिद में मोमिनों की आमद शुरू हो गई थी। नमाज़ से पहले मौलाना महफूजुल हसन खां साहब ने खुतबा देते हुए रमज़ान की अहमियत पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह महीना तौबा, इबादत और खुदा की रहमतों को समेटने का है। रोज़े का असल मकसद सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं, बल्कि अपनी रूहानी और नैतिक तरक्की करना है।
रमज़ान: खुदा की रहमतों का महीना
मौलाना ने अपने खुतबे में रमज़ान की फज़ीलत बयान करते हुए कहा,
"रमज़ान सिर्फ एक इबादत का नाम नहीं है, बल्कि यह इंसान को बेहतर बनाने का जरिया है। इस महीने में रोज़ा रखने से न केवल जिस्मानी बल्कि रूहानी पाकीज़गी भी हासिल होती है। यह सब्र और अल्लाह की रहमत को पाने का सबसे बेहतरीन वक्त होता है।"
मौलाना साहब ने बताया कि इस पाक महीने में हर मोमिन को चाहिए कि वह अपने आमाल की इस्लाह करे, गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करे, और ज्यादा से ज्यादा इबादत में वक्त बिताए।
मोमिनों ने बड़ी तादाद में की शिरकत
नमाज़-ए-जुमा के मौके पर मस्जिद में मोमिनों की अच्छी खासी तादाद देखी गई। नमाज़ के बाद तमाम अकीदतमंदों ने बारगाह-ए-इलाही में रो-रोकर दुआएं मांगीं। लोगों ने अपने मुल्क, समाज और पूरी इंसानियत की सलामती की दुआ की।
मस्जिद में खास इंतज़ाम किए गए थे ताकि रोज़ेदारों को किसी तरह की परेशानी न हो। मस्जिद प्रशासन की ओर से साफ-सफाई और नमाज़ियों के लिए आरामदायक माहौल तैयार किया गया था।
रमज़ान की इबादतों का सिलसिला जारी
शहर की शिया जामा मस्जिद में रमज़ान के महीने में हर साल की तरह इस बार भी इबादतों और मजलिसों का सिलसिला जारी है। रोज़ेदारों के लिए इफ्तार और सहरी का भी खास इंतज़ाम किया जा रहा है। मस्जिद में कुरआन ख्वानी और इस्लाही तकरीरें भी हो रही हैं, जिससे मोमिनों को दीन की तालीम हासिल करने का मौका मिल रहा है।
मौलाना महफूजुल हसन खां साहब ने आखिर में तमाम मोमिनों से गुज़ारिश की कि वे इस महीने को ज्यादा से ज्यादा इबादत और नेकियों में बिताएं। उन्होंने कहा, "रमज़ान सब्र और खुदा की इबादत का महीना है, इस महीने की हर घड़ी को क़ीमती समझें और अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बनाने की कोशिश करें।"
दुआओं और रूहानी माहौल के साथ खत्म हुई नमाज़-ए-जुमा
नमाज़-ए-जुमा के बाद मस्जिद में एक रूहानी माहौल देखने को मिला। मोमिनों ने अल्लाह की बारगाह में सजदा किया और अपनी मुरादें मांगीं। रमज़ान का यह पहला जुमा मोमिनों के लिए न सिर्फ एक इबादत का जरिया बना, बल्कि उन्हें अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बनाने की सीख भी दे गया।
मस्जिद के जिम्मेदारों ने बताया कि पूरे रमज़ान भर इबादतों और मजलिसों का सिलसिला जारी रहेगा, और मोमिनों को दीनी तालीम से जोड़ने की कोशिश की जाएगी।
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