पैसों के अभाव में बदनाम किया स्कूल, सोशल मीडिया पर तथाकथित पत्रकार का नकारात्मक प्रचार स्कूल प्रशासन ने किया इंकार, तो शुरू हुई बदनाम करने ...
पैसों के अभाव में बदनाम किया स्कूल, सोशल मीडिया पर तथाकथित पत्रकार का नकारात्मक प्रचार
स्कूल प्रशासन ने किया इंकार, तो शुरू हुई बदनाम करने की साजिश
तामीर हसन शीबू
जौनपुर। पत्रकारिता, जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, जब अपने मूल सिद्धांतों से भटक जाती है, तो समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगती है। ऐसा ही एक मामला जौनपुर जिले के लाल दरवाजा क्षेत्र में स्थित एक निजी स्कूल से जुड़ा हुआ सामने आया है। आरोप है कि एक तथाकथित पत्रकार ने महज ₹500 न मिलने पर स्कूल की छवि खराब करने का अभियान सोशल मीडिया पर छेड़ दिया।
स्कूल उद्घाटन में आमंत्रण और पैसों की मांग
23 फरवरी को इस स्कूल का उद्घाटन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ किया गया। उद्घाटन समारोह में कई गणमान्य व्यक्तियों के साथ कुछ पत्रकारों को भी आमंत्रित किया गया था। इसी दौरान एक स्वयंभू पत्रकार ने स्कूल प्रशासन से संपर्क कर अपनी टीम के पांच सदस्यों के साथ कार्यक्रम की कवरेज करने की बात कही। लेकिन इसके बदले उसने ₹500 की मांग रखी।
स्कूल प्रशासन ने किया इंकार, तो शुरू हुई बदनाम करने की साजिश
स्कूल प्रशासन ने जब इस मांग को अस्वीकार कर दिया और किसी प्रकार का भुगतान करने से मना कर दिया, तो तथाकथित पत्रकार ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर स्कूल के खिलाफ अनाप-शनाप बातें लिखनी शुरू कर दीं। उसने स्कूल की छवि धूमिल करने के लिए फेसबुक, व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नकारात्मक खबरें प्रसारित करनी शुरू कर दीं।
सोशल मीडिया पर झूठी खबरों का खेल
सोशल मीडिया पर गलत और भ्रामक खबरें फैलाना आज के दौर में आम हो गया है। लेकिन जब यह व्यक्तिगत स्वार्थ या आर्थिक लाभ के लिए किया जाए, तो यह पत्रकारिता की नैतिकता पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है। मामले की जानकारी मिलते ही स्कूल प्रशासन ने इस झूठी खबर को लेकर नाराजगी जताई और इसे बदनाम करने की साजिश करार दिया।
सच्चाई जानने की आवश्यकता
यह मामला सिर्फ एक स्कूल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग पत्रकारिता के नाम पर ब्लैकमेलिंग और पैसे की वसूली में लिप्त हैं। प्रशासन को चाहिए कि इस तरह के फर्जी पत्रकारों पर कार्रवाई करे, ताकि सही और निष्पक्ष पत्रकारिता को बढ़ावा मिल सके।
निष्कर्ष
पत्रकारिता का कार्य समाज में सच को उजागर करना और निष्पक्ष रूप से जनता तक सही जानकारी पहुंचाना होता है। लेकिन जब कुछ लोग इसे सिर्फ पैसे कमाने का जरिया बना लेते हैं, तो इससे पूरी पत्रकारिता जगत की साख पर सवाल खड़े हो जाते हैं। जौनपुर के इस मामले ने फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर जिम्मेदार और ईमानदार पत्रकारिता की दिशा में हम कितना आगे बढ़ पाए हैं?
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