रमजान की बरकतें हर तरफ, नन्हे बच्चे भी कर रहे कुरान की तिलावत मस्जिदों में इबादत का माहौल, रोजे की फजीलत से हो रहे रूबरू जौनपुर : मुकद्दस म...
रमजान की बरकतें हर तरफ, नन्हे बच्चे भी कर रहे कुरान की तिलावत
मस्जिदों में इबादत का माहौल, रोजे की फजीलत से हो रहे रूबरू
जौनपुर: मुकद्दस माह-ए-रमजान की रौनक हर तरफ नजर आ रही है। इस पाक महीने में न सिर्फ बड़े, बल्कि बच्चे भी रोजा रख रहे हैं और मस्जिदों में कुरान की तिलावत कर रहे हैं। शहर के मदरसा हनफिया स्थित नवाब साहब का अहाता मदीना मस्जिद में नन्हे बच्चे भी इबादत में मशगूल नजर आ रहे हैं। 6 साल से 14 साल तक के बच्चे रमजान की फजीलत को समझते हुए कुरान की तिलावत के साथ-साथ दीनी मालूमात भी हासिल कर रहे हैं।
मस्जिद में मिलकर इफ्तार कर रहे बच्चे, मिल रही दीनी तालीम
रोजा रखने के साथ-साथ बच्चे मस्जिद में बैठकर इफ्तार भी कर रहे हैं। हजरत मौलाना कयामुद्दीन और हाफिज मोहम्मद हसीन उन्हें इस्लामिक तालीम देते हुए रोजे की अहमियत से रूबरू करा रहे हैं। इसके साथ ही नाते नबी का नजराना भी बच्चों से सुना जा रहा है। मां-बाप भी इस बात से खुश हैं कि उनके बच्चे छोटी उम्र से ही अल्लाह की इबादत में मशगूल होकर अच्छी तालीम हासिल कर रहे हैं।
कुछ बच्चे बन रहे हाफिज-ए-कुरान
रमजान की बरकत से कुछ बच्चे हाफिज-ए-कुरान बनने की राह पर हैं। माह-ए-रमजान की इबादत का सवाब सिर्फ बच्चों को ही नहीं, बल्कि उनके माता-पिता को भी मिलता रहेगा।
"
रोजा इबादत का दरवाजा" – शकील मंसूरी
मरकजी सीरत कमेटी के नायब सदर शकील मंसूरी ने कहा कि अल्लाह ने बंदों को रमजान जैसी अजीम नेमत से नवाजा है। रोजा इबादत का दरवाजा है और इसे शहरे रमजान यानी अल्लाह का महीना कहा जाता है। उन्होंने कहा कि हमें चाहिए कि हम रोजे और इबादत की अहमियत को समझें और इसे दूसरों तक भी पहुंचाएं।
COMMENTS