मृत्युभोज नहीं, गरीब परिवार को मिलेगा आवास—भाजपा नेता कृपाशंकर सिंह ने पेश की मिसाल तामीर हसन शीबू जौनपुर । महाराष्ट्र सरकार के पूर्व गृह र...
मृत्युभोज नहीं, गरीब परिवार को मिलेगा आवास—भाजपा नेता कृपाशंकर सिंह ने पेश की मिसाल
तामीर हसन शीबू
जौनपुर। महाराष्ट्र सरकार के पूर्व गृह राज्य मंत्री और भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह ने समाज में एक नई सोच और सकारात्मक बदलाव की मिसाल पेश की है। पारंपरिक मृत्युभोज की प्रथा को छोड़ते हुए उन्होंने एक ऐसा कदम उठाया, जो समाज के लिए प्रेरणादायक है।
मृत्युभोज की जगह सेवा का संकल्प
कृपाशंकर सिंह के भतीजे का हाल ही में निधन हो गया था। भारतीय समाज में ऐसी स्थिति में मृत्युभोज कराने की परंपरा रही है, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को भोजन कराया जाता है। लेकिन इस प्रथा के विपरीत जाकर उन्होंने कुछ ऐसा किया, जिससे जरूरतमंदों को सीधा लाभ मिले। उन्होंने न केवल मृत्युभोज से परहेज किया, बल्कि समाज से भी अपील की कि वे इस परंपरा को छोड़कर कोई ऐसा संकल्प लें, जिससे किसी गरीब या जरूरतमंद की जिंदगी संवर सके।
दलित परिवार को मिलेगा नया घर
अपनी अपील को अमल में लाते हुए कृपाशंकर सिंह ने अपने पैतृक गांव सहोदरपुर में एक गरीब दलित परिवार को निःशुल्क आवास देने का संकल्प लिया। इस संकल्प की शुरुआत करते हुए उन्होंने संबंधित परिवार के घर पहुंचकर पूरे विधि-विधान से भूमि पूजन किया। इस अवसर पर स्थानीय ग्रामीणों और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही।
जिस परिवार को यह घर मिलने वाला है, उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। बरसों से सिर पर छत की आस में जी रहे इस परिवार के लिए यह संकल्प किसी वरदान से कम नहीं। अब उनके सपनों को एक नई उड़ान मिल रही है।
गांव वालों ने की सराहना
कृपाशंकर सिंह के इस निर्णय की ग्रामीणों और स्थानीय नागरिकों ने जमकर सराहना की। लोगों का कहना है कि यदि राजनेता इसी तरह समाज सेवा के संकल्प लें, तो देश से न केवल गरीबी, बल्कि अनावश्यक कुरीतियां भी जल्द ही समाप्त हो जाएंगी।
समाज में बदलाव की नई लहर
कृपाशंकर सिंह के इस फैसले को सामाजिक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। उनका यह निर्णय न केवल गरीबों की मदद करेगा, बल्कि समाज को यह सोचने पर मजबूर करेगा कि क्या मृत्युभोज जैसी परंपराएं वास्तव में आवश्यक हैं, या इन संसाधनों को गरीबों की भलाई में लगाया जा सकता है।
उनकी इस पहल से निश्चित रूप से समाज में एक नई लहर उठेगी, जो दकियानूसी परंपराओं से ऊपर उठकर सेवा और मानवता की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।
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