कांग्रेस की इफ्तार पार्टी पर सियासी सवाल, सपा नेताओं की मौजूदगी से उठे कई प्रश्न तामीर हसन शीबू जौनपुर कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित इफ्तार...
कांग्रेस की इफ्तार पार्टी पर सियासी सवाल, सपा नेताओं की मौजूदगी से उठे कई प्रश्न
जौनपुर कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी इस बार चर्चा में रही, लेकिन गलत कारणों से। शहर कांग्रेस अध्यक्ष आरिफ खान की अगुवाई में हुए इस आयोजन में समाजवादी पार्टी (सपा) के कई नेताओं की मौजूदगी ने नए राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया।
सामाजिक आयोजन या राजनीतिक सौदा?
जहां कांग्रेस इसे सामाजिक समरसता का प्रतीक बता रही है, वहीं विपक्षी दल और जनता इसे राजनीतिक स्वार्थ साधने का प्रयास मान रही है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह इफ्तार वास्तव में धार्मिक आयोजन था, या फिर कांग्रेस और सपा के बीच गुप्त राजनीतिक सौदेबाजी की शुरुआत?
गठबंधन की आड़ में सौदेबाजी?
इस इफ्तार में कांग्रेस और सपा नेताओं की गुप्त मंत्रणा ने कई संदेहों को जन्म दिया है। लोकसभा चुनाव नज़दीक आते ही दोनों दलों के बीच गठबंधन की चर्चा तेज़ हो गई थी, और अब इस इफ्तार पार्टी में एक साथ दिखना कई सवाल खड़े कर रहा है।
जनता में नाराज़गी, पार्टी कार्यकर्ताओं में असमंजस
कांग्रेस और सपा नेताओं की यह करीबी जनता को पसंद नहीं आ रही। खासकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में असंतोष देखा जा रहा है, क्योंकि उन्हें लगता है कि पार्टी का नेतृत्व समाजवादी पार्टी के दबाव में काम कर रहा है।
क्या यह गठबंधन जनता के भरोसे के खिलाफ?
विपक्षी दलों का कहना है कि कांग्रेस और सपा की यह नज़दीकी राजनीतिक अवसरवादिता का संकेत है। इफ्तार के नाम पर सिर्फ वोटबैंक की राजनीति की जा रही है, जबकि जनता के असली मुद्दों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
अब सवाल यह है कि
क्या कांग्रेस अपनी स्वतंत्र पहचान खो रही है?
क्या यह इफ्तार पार्टी राजनीतिक जोड़-तोड़ का हिस्सा थी?
जनता क्या कांग्रेस-सपा की इस नज़दीकी को स्वीकार करेगी?
इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में साफ होंगे, लेकिन फिलहाल कांग्रेस की इफ्तार पार्टी राजनीतिक विवादों के घेरे में आ चुकी है।
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