शहर कांग्रेस में मचा घमासान: इस्तीफ़ों की तैयारी, हाईकमान की चुप्पी सवालों के घेरे में तामीर हसन शीबू जौनपुर। शहर कांग्रेस कमेटी में जारी अ...
शहर कांग्रेस में मचा घमासान: इस्तीफ़ों की तैयारी, हाईकमान की चुप्पी सवालों के घेरे में
तामीर हसन शीबू
जौनपुर।शहर कांग्रेस कमेटी में जारी असंतोष अब उबाल पर है। अध्यक्ष आरिफ़ ख़ान के कामकाज को लेकर पार्टी के अंदर गहराता विरोध खुलकर सामने आने लगा है। सूत्रों की मानें तो कुछ पदाधिकारी अपने इस्तीफ़े की सार्वजनिक घोषणा के लिए एक साझा मंच की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस हाईकमान की चुप्पी भी कार्यकर्ताओं के बीच चिंता और असमंजस का कारण बन रही है।शहर कांग्रेस के उपाध्यक्ष, महासचिव और सचिव स्तर के कई पदाधिकारी न केवल इस्तीफ़े की बात कह रहे हैं, बल्कि आरिफ़ ख़ान को हटाने की माँग भी ज़ोर पकड़ने लगी है। एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हम सब अब और समझौता नहीं करेंगे। संगठन के लिए हमने वर्षों मेहनत की है, लेकिन जब नेतृत्व संवादहीन हो जाए और कार्यकर्ताओं की बात सुनी न जाए, तो संगठन का नुकसान तय है।"
इस्तीफ़ों से पहले दिखा एकजुटता का प्रदर्शन
इस बीच, रविवार को एक प्रमुख कार्यकर्ता के आवास पर बुलाई गई बंद कमरे की बैठक में दर्जनों कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में शहर अध्यक्ष आरिफ़ ख़ान के नेतृत्व पर खुलकर असंतोष जताया गया। सूत्रों के अनुसार, बैठक में प्रस्ताव रखा गया कि यदि पार्टी नेतृत्व एक सप्ताह के भीतर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता है, तो सामूहिक इस्तीफ़ा दिया जाएगा।
पूर्व ज़िला उपाध्यक्ष नीरज राय की पोस्ट बनी बवंडर
पूर्व ज़िला उपाध्यक्ष नीरज राय की फेसबुक पोस्ट ने इस पूरे विवाद को और हवा दे दी है। उन्होंने लिखा, "संगठन की जड़ें खोखली होती जा रही हैं और नेतृत्व का रवैया निराशाजनक है। अगर यही हाल रहा तो हम सिर्फ दीवारों पर पोस्टर चिपकाते रह जाएँगे और ज़मीन पर कोई नहीं मिलेगा।"
नीरज राय की इस पोस्ट के स्क्रीनशॉट अब कार्यकर्ताओं के व्हाट्सऐप ग्रुपों में जमकर वायरल हो रहे हैं।
हाईकमान पर उठ रहे सवाल
विरोध के स्वर तेज़ होने के बावजूद अब तक कांग्रेस जिला या प्रदेश नेतृत्व की ओर से कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह चुप्पी कार्यकर्ताओं के भीतर गहरी बेचैनी पैदा कर रही है। वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का मानना है कि अगर नेतृत्व जल्द हस्तक्षेप नहीं करता, तो यह विवाद शहर से निकलकर पूरे ज़िले में पार्टी की छवि को नुकसान पहुँचा सकता है।
एक युवा कांग्रेस कार्यकर्ता ने कहा, "पार्टी सिर्फ चेहरे से नहीं, जमीनी कार्यकर्ताओं से चलती है। अगर यही उपेक्षा रही, तो आने वाले चुनाव में शहर कांग्रेस की स्थिति और भी दयनीय हो सकती है।"
आने वाले दिन निर्णायक
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता अब डैमेज कंट्रोल के लिए बैकचैनल से बातचीत की कोशिश कर रहे हैं। आरिफ़ ख़ान को हटाना होगा या उन्हें टीम के साथ समन्वय बनाकर चलना होगा—यह आने वाले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा।
फिलहाल शहर कांग्रेस एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। क्या नेतृत्व अंदरूनी असंतोष को खत्म कर पार्टी को एकजुट कर पाएगा या फिर यह विवाद संगठन को और कमजोर कर देगा—यह तो वक्त ही बताएगा।
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